Old Pension Scheme: क्यों जरूरी है और क्या हैं इसके फायदे?

Last updated on February 13th, 2025 at 07:00 pm

भारत में Old Pension Scheme (OPS) एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा प्रणाली रही है, जिसे सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने के उद्देश्य से लागू किया गया था। हालाँकि, इसे 2004 में National Pension System (NPS) से बदल दिया गया, लेकिन हाल के वर्षों में फिर से OPS की बहाली की माँग ज़ोर पकड़ रही है। यह लेख Old Pension Scheme के महत्व, लाभ और इसकी तुलना नई पेंशन योजना से करेगा।

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Old Pension Scheme एक निश्चित लाभ वाली पेंशन योजना थी, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक निश्चित मासिक पेंशन दी जाती थी। यह राशि कर्मचारी की अंतिम आहरित वेतन का 50% होती थी और इसमें महंगाई भत्ता (DA) भी शामिल किया जाता था। इस योजना में कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं होती थी, बल्कि यह पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्तपोषित होती थी।

Old Pension Scheme के मुख्य लाभ

1. जीवन भर सुनिश्चित पेंशन

OPS के अंतर्गत, कर्मचारियों को पूरे जीवनकाल तक एक निश्चित मासिक पेंशन मिलती थी, जो उनके वित्तीय भविष्य को सुरक्षित बनाती थी।

2. महंगाई भत्ते (DA) के अनुसार वृद्धि

सरकार समय-समय पर महंगाई भत्ते (DA) में वृद्धि करती थी, जिससे पेंशन धारकों को मुद्रास्फीति से सुरक्षा मिलती थी।

3. सरकार द्वारा 100% वित्त पोषण

इस योजना में कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं होती थी, बल्कि सरकार पूरी तरह से पेंशन का भुगतान करती थी।

4. सामाजिक सुरक्षा का मजबूत स्तंभ

OPS कर्मचारियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाता था, जिससे वृद्धावस्था में उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था।

New Pension Scheme (NPS) बनाम Old Pension Scheme(OPS)

ops

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सरकार ने 2004 में New Pension Scheme (NPS) लागू की, जिसका मुख्य कारण सरकार पर बढ़ते वित्तीय बोझ को कम करना था। OPS के तहत पेंशन का पूरा भार सरकार उठाती थी, जिससे वित्तीय घाटा बढ़ रहा था। नई योजना में कर्मचारी और सरकार दोनों का अंशदान शामिल किया गया, जिससे सरकार की वित्तीय जिम्मेदारी घट गई। जिससे Old Pension Scheme को समाप्त कर दिया गया। आइए दोनों योजनाओं के बीच मुख्य अंतर देखें:

विशेषता

Old Pension Scheme (OPS)

New Pension Scheme (NPS)

पेंशन की गारंटी

हाँ, सुनिश्चित पेंशन

नहीं, बाजार आधारित

वेतन से कटौती

नहीं

हाँ, 10% कर्मचारी और 14% सरकार

महंगाई भत्ता (DA)

हाँ

नहीं

पारिवारिक पेंशन

हाँ

सीमित

निवेश जोखिम

कोई जोखिम नहीं

शेयर बाजार से जुड़ा

Old Pension Scheme की वापसी की माँग क्यों हो रही है?

old pension scheme

हाल के वर्षों में कई राज्यों ने OPS की वापसी की माँग की है। उदाहरण के लिए, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड में सरकारी कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए हैं, जिससे सरकारों पर OPS बहाल करने का दबाव बढ़ा है। इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

1. NPS में पेंशन की अनिश्चितता

NPS शेयर बाजार से जुड़ा है, जिससे कर्मचारियों को स्थिर पेंशन नहीं मिलती। सेवानिवृत्ति के समय निवेश की गई राशि पर निर्भर करता है कि उन्हें कितनी पेंशन मिलेगी।

2. वित्तीय असुरक्षा

OPS के तहत कर्मचारियों को जीवनभर पेंशन मिलती थी, जबकि NPS में यह अनिश्चित होती है। इससे कर्मचारियों में भविष्य की असुरक्षा बनी रहती है।

3. सरकारी कर्मचारियों का बढ़ता दबाव

कई राज्यों के सरकारी कर्मचारी OPS की बहाली के लिए आंदोलन कर रहे हैं। उनकी माँग है कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाए।

4. कई राज्यों में OPS की बहाली

राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों ने OPS को फिर से लागू करने की घोषणा की है।

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Old Pension Scheme के लिए सरकार का नजरिया

हालाँकि केंद्र सरकार अभी तक OPS को दोबारा लागू करने के पक्ष में नहीं है, लेकिन राज्यों द्वारा OPS बहाल करने से यह मुद्दा चर्चा में बना हुआ है। केंद्र सरकार का तर्क है कि OPS को लागू करने से सरकारी खर्चों में भारी वृद्धि होगी, जिससे अन्य विकास कार्यों के लिए धन की कमी हो सकती है। वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अनुसार, OPS के कारण भविष्य में सरकार पर दीर्घकालिक वित्तीय दबाव बढ़ सकता है। वहीं, कर्मचारियों का मानना है कि यह बुढ़ापे की सुरक्षा की गारंटी है, जिससे उन्हें स्थिर पेंशन और महंगाई भत्ते का लाभ मिलता रहेगा।

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Old Pension Scheme पर कर्मचारियों का दृष्टिकोण

  1. सुरक्षा और स्थिरता – कर्मचारी Old Pension Scheme (OPS) को सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर आय का स्रोत मानते हैं, जिससे उन्हें भविष्य की आर्थिक अनिश्चितता से सुरक्षा मिलती है।
  2. नई योजना से असंतोष – नई पेंशन योजना (NPS) को बाजार आधारित होने के कारण कर्मचारी अस्थिर मानते हैं और इसे उनके लिए कम फायदेमंद समझते हैं।
  3. सरकारी सहयोग की मांग – कर्मचारी सरकार से पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय निर्भरता न झेलनी पड़े।
  4. नौकरी की प्रेरणा – OPS के अंतर्गत पेंशन की गारंटी से कर्मचारियों में काम के प्रति अधिक समर्पण और उत्साह बना रहता है।
  5. आंदोलन और विरोध – कई राज्यों में सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं और इस मुद्दे को चुनावी एजेंडा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
  6. सामाजिक सुरक्षा – कर्मचारियों का मानना है कि OPS केवल पेंशन नहीं, बल्कि उनके जीवन की संपूर्ण सामाजिक सुरक्षा का हिस्सा है, जो उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षित रखता है।

 

निष्कर्ष(Conclusion)

Old Pension Scheme सरकारी कर्मचारियों के लिए एक आदर्श सामाजिक सुरक्षा प्रणाली थी, जो उन्हें आर्थिक स्थिरता प्रदान करती थी। हालाँकि, सरकार ने NPS लागू कर दिया, लेकिन इसकी अनिश्चितता के कारण अब OPS की माँग बढ़ती जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में सरकार इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेती है।

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पुरानी पेंशन योजना के क्या फायदे हैं?
  1. पूरे जीवनकाल तक एक निश्चित मासिक पेंशन मिलती|
  2. समय-समय पर महंगाई भत्ते (DA) में वृद्धि|
  3. कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं, बल्कि सरकार पूरी तरह से पेंशन का भुगतान करती |
  4. OPS कर्मचारियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाता था|

केंद्र सरकार का तर्क है कि OPS को लागू करने से सरकारी खर्चों में भारी वृद्धि होगी, जिससे अन्य विकास कार्यों के लिए धन की कमी हो सकती है|

नियमों के मुताबिक, 80 से 85 वर्ष की आयु के पेंशन-भोगी मूल पेंशन के 20% के पात्र हैं, जबकि 85 से 90 वर्ष की आयु के पेंशन-भोगियों को उनकी नियमित पेंशन के साथ 30% अतिरिक्त मिलेगा।

भारत में, पुरानी पेंशन योजना के तहत, पत्नी अपने पति की मृत्यु के बाद पेंशन प्राप्त करने की हकदार है। यह पेंशन आमतौर पर पति के वेतन का 30-50% होती है। यदि किसी सरकारी कर्मचारी की सेवा के दौरान या सेवानिवृत्ति के 7 साल के भीतर मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को अंतिम वेतन के 50% के बराबर पेंशन दी जाती है।

फार्म 14 एक मानक प्रक्रिया पत्रक (शीट) का कार्य करता है, जो पेंशन वितरक बैंक को दी जाने वाली निश्चित सूचना को परिभाषित और चित्रित करता है

हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड और पंजाब राज्यों में सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस को फिर से लागू किया गया है। जबकि पश्चिम बंगाल ने कभी भी NPS को नहीं अपनाया, OPS के साथ खड़ा रहा।

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