Last updated on February 20th, 2025 at 06:24 am
शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन जब अचानक शेयर बाज़ार में भारी गिरावट आती है तो यह निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन जाता है। Stock Market Crash होने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं, जिनके बारे में जानना हर निवेशक के लिए जरूरी है। आइये विस्तार से समझते हैं कि शेयर बाजार में बड़ी बिकवाली के 5 प्रमुख कारण और क्यों निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।

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Toggle2025 में भारतीय शेयर बाज़ार क्यों गिर रहा है? Stock Market Crash in 2025
31 दिसंबर, 2025 के बाद 12 फरवरी, 2025 तक निफ्टी करीब 1000 अंक और सेंसेक्स करीब 3000 अंक टूटा। जबकि पिछले हफ्ते सेंसेक्स में करीब 2466 अंक और निफ्टी में करीब 744 अंक की बड़ी गिरावट आई है।
सबसे पहले, वर्ष 2025 में शेयर बाजार में बड़ी बिकवाली के पीछे के प्रमुख कारणों को समझते हैं।
1. ट्रम्प द्वारा टैरिफ बढ़ोतरी से बाजार में भारी गिरावट
राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेश व्यापार नीति से जुड़े कई फैसले लिए जिसका सीधा असर दुनिया भर के शेयर बाजारों पर पड़ रहा है।
फरवरी, 2025 के दूसरे सप्ताह में डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर एल्युमीनियम और स्टील के आयात पर टैरिफ बढ़ाकर 25% कर दिया गया है| उन्होंने भविष्य में ऑटोमोबाइल, दवाइयों और कंप्यूटर चिप्स के आयात पर शुल्क लगाने का भी संकेत दिया है| इससे कई मोर्चों पर व्यापार युद्ध(Trade War) का खतरा बढ़ गया है| यही कारण है कि आने वाले दिनों में शेयर बाजार में बड़ी बिकवाली देखने को मिल सकती है।
2. भारतीय रुपये का अवमूल्यन बना शेयर बाजार में बिकवाली का कारण
भारतीय रुपये के अवमूल्यन का भारतीय शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। दिसंबर 2024 के अंत से फरवरी 2025 के दूसरे सप्ताह तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में लगभग 3% की गिरावट आई है। भारतीय रुपये के अवमूल्यन के लिए कई वैश्विक कारण जिम्मेदार हैं, जिनमें अमेरिकी चुनाव और 1 अक्टूबर 2024 से 30 जनवरी 2025 के बीच डॉलर स्टॉक में 7% की बढ़ोतरी भी एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है।
3. विदेशी संस्थागत निवेशक(FII) द्वारा लगातार बिकवाली से शेयर बाजार ध्वस्त
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वर्ष 2025 में, भारतीय रुपये के अवमूल्यन और अमेरिकी डॉलर सूचकांक में वृद्धि के कारण भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक(FII) द्वारा भारी बिकवाली हुई। 1 जनवरी 2025 से फरवरी के दूसरे हफ्ते के अंत तक FII ने करीब ₹90,000 करोड़ की बिक्री की है। निकट भविष्य में वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते FII द्वारा भारतीय शेयर बाजार में और अधिक बिकवाली किए जाने की संभावना है।
4. फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा दर में कटौती
महंगाई दर में नियंत्रण के चलते फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गई। अमेरिका मैं आर्थिक विकास रफ्तार तेज होने की संभावना बढ़ने से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से अपना पैसा निकाल कर अमेरिका में निवेश करना उचित समझा। इसके चलते भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है|
5. कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे
पिछले वित्त वर्ष के दौरान ऊंची ब्याज दरों और धीमी आर्थिक विकास दर के कारण भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा| जिसके कारण भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आना भी भारतीय Stock Market Crash होने का एक कारण बना।
6. धीमी घरेलू आर्थिक विकास दर
वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद(GDP) वृद्धि दर केवल 6.4% रहने की उम्मीद है। पिछले वित्तीय वर्ष में GDP विकास दर 8.2 फीसदी थी। हालाँकि, भारतीय रिज़र्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.6% आंकी है। इसके बाद भी चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद(GDP) वृद्धि दर 4 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई| भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार का भारतीय शेयर बाजार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
Share Market Crash होने के अन्य मुख्य कारण
1. राजनीतिक अस्थिरता और सरकार की नीतियां
राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत बदलाव भी शेयर बाजार में भारी गिरावट ला सकते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव, युद्ध, व्यापार नीतियां, या सरकार द्वारा लिए गए बड़े फैसले बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए
- अचानक लागू हुए टैक्स नियमों या वित्तीय नीतियों के कारण निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ जाती है।
- चुनावी परिणाम या सरकार के बदलने से बाजार में अनिश्चितता बनी रहती है।
2. वैश्विक आर्थिक संकट (Global Economic Crisis)
जब वैश्विक अर्थव्यवस्था किसी संकट में होती है, तो इसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ता है। उदाहरण के लिए:
- 2008 का वित्तीय संकट, जिसमें लेहमैन ब्रदर्स के दिवालिया होने से दुनियाभर के शेयर बाजार ध्वस्त हो गए थे।
- वैश्विक मंदी के कारण कंपनियों के मुनाफे में कमी आती है, जिससे निवेशकों का विश्वास डगमगाने लगता है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता के कारण विदेशी निवेशक अपने पैसे निकालने लगते हैं, जिससे शेयर बाजार में भारी गिरावट आती है।

3. ब्याज दरों में बदलाव (Changes in Interest Rates)
केंद्रीय बैंक जब ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है, तो इसका सीधा असर स्टॉक मार्केट पर पड़ता है।
- ब्याज दरें बढ़ने से लोन महंगे हो जाते हैं, जिससे कंपनियों की लागत बढ़ती है और मुनाफा घटता है।
- निवेशक बैंक डिपॉजिट और बांड में निवेश करना ज्यादा पसंद करते हैं, जिससे शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ती है।
- फेडरल रिजर्व या भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतियों में बदलाव शेयर बाजार की दिशा तय कर सकते हैं।
4. निवेशकों में घबराहट और मनोवैज्ञानिक प्रभाव (Investor Panic & Psychological Impact)
कई बार बाजार में भावनात्मक प्रतिक्रियाएं भी भारी गिरावट का कारण बन सकती हैं।
- जब बाजार में FOMO (Fear of Missing Out) या FUD (Fear, Uncertainty, Doubt) बढ़ता है, तो निवेशक जल्दबाजी में फैसले लेने लगते हैं।
- बड़ी संस्थागत कंपनियों द्वारा भारी मात्रा में स्टॉक्स बेचने से खुदरा निवेशकों में डर पैदा हो जाता है और वे भी अपने शेयर बेचने लगते हैं।
मार्जिन कॉल (Margin Call) की स्थिति में जब निवेशकों के पास पैसे नहीं होते, तो उन्हें मजबूरी में अपने शेयर बेचने पड़ते हैं, जिससे बाजार और नीचे चला जाता है।
5. प्राकृतिक आपदाएं और महामारी (Natural Disasters & Pandemics)
प्राकृतिक आपदाएं और वैश्विक महामारी भी Share Bazar Crash होने का प्रमुख कारण बन सकते हैं।
- कोविड-19 महामारी के दौरान मार्च 2020 में शेयर बाजार(Stock Exchanges) में ऐतिहासिक गिरावट देखी गई थी।
- भूकंप, सुनामी, बाढ़ जैसी आपदाओं से देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे निवेशकों का विश्वास कम हो जाता है।
- महामारी के दौरान व्यापार ठप हो जाते हैं, कंपनियों के मुनाफे में गिरावट आती है और शेयर बाजार(Share market) में निवेशक घबराने लगते हैं।
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निवेशकों को कैसे सतर्क रहना चाहिए?
अब जब हमने Stock Market Crash के कारणों को समझ लिया है, तो यह जानना भी जरूरी है कि निवेशकों को सतर्क कैसे रहना चाहिए:
1. पोर्टफोलियो में विविधता (Diversification in Portfolio)
- हमेशा अपने निवेश को विभिन्न सेक्टरों में फैलाएं ताकि एक ही सेक्टर के शेयर में गिरावट का प्रभाव आपके पूरे पोर्टफोलियो पर न पड़े।
- स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, गोल्ड और रियल एस्टेट में निवेश का संतुलन बनाए रखें।
2. लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान दें
- बाजार में अस्थिरता से घबराने के बजाय लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट पर ध्यान दें।
- ऐतिहासिक ट्रेंड्स को देखें तो शेयर बाजार में हर बड़ी गिरावट के बाद सुधार होता है।

3. भावनाओं में बहकर निर्णय न लें
- जब बाजार गिरता है, तो डर के कारण स्टॉक्स न बेचें।
- जब बाजार तेजी में होता है, तो FOMO के कारण बिना रिसर्च किए निवेश न करें।
4. मजबूत कंपनियों में निवेश करें
- हमेशा फंडामेंटली मजबूत कंपनियों के स्टॉक्स खरीदें, जो लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन कर सकें।
- ऐसी कंपनियां जिनका प्रबंधन अच्छा हो और वित्तीय स्थिति मजबूत हो, वे शेयर बाजार(Equity Market) में गिरावट के बावजूद ठीक प्रदर्शन करती हैं।
5. आर्थिक समाचारों और ट्रेंड्स पर नजर रखें
- बाजार के ताजा अपडेट्स और आर्थिक नीतियों पर नजर रखना जरूरी है।
- केंद्रीय बैंक की घोषणाएं, ब्याज दरों में बदलाव और वैश्विक घटनाओं को समझना चाहिए।
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निष्कर्ष
Stock Market Crash कई कारणों से हो सकता है, जिनमें वैश्विक आर्थिक संकट, ब्याज दरों में बदलाव, राजनीतिक अस्थिरता, निवेशकों की घबराहट और प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं। लेकिन सतर्कता, सही रणनीति और धैर्य से आप अपने निवेश को सुरक्षित रख सकते हैं और बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम कर सकते हैं।
अगर आप शेयर बाजार(Stock Market) में लंबे समय तक बने रहना चाहते हैं, तो समझदारी से निवेश करें, रिसर्च करें और घबराहट में कोई निर्णय न लें। बाजार में गिरावट अस्थायी होती है, लेकिन सही निवेश रणनीति आपको अच्छे रिटर्न दिला सकती है।
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